क्षेत्रीय नृत्य,(RAJASTHAN KE LOK NRITYA) 6

(4) क्षेत्रीय नृत्य :-

(I) शेखावाटी क्षेत्र के  नृत्य  :-

  1. कच्ची घोड़ी नृत्य 
  2. गीदड़ नृत्य 
  3. चंग नृत्य
  4. ढफ नृत्य  
  5. कबूतरी नृत्य 
  6. जिंदाद नृत्य 

गीदड़ नृत्य  :-  

  • यह पुरुष प्रधान नृत्य है। 
  • यह डांडा रोपण (माल पूर्णिमा) से होलिका दहन तक किया जाता है। 
  • इसमें पुरुषों द्वारा महिलाओं की भूमिका निभाई जाती है जिसे महरि या गणगौर कहते हैं ।
(II) भरतपुर के नृत्य :- 

  1. बम नृत्य 
  2. चरकूला नृत्य 
  3. दुर्गा नृत्य

(III) जालौर के नृत्य :-
(I) ढोल नृत्य :- यह नृत्य जालौर क्षेत्र में संचालिया संप्रदाय में  विवाह के अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है।
Note :- यह नृत्य थाकना शैली में किया जाता है।
राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री जय नारायण व्यास इस नृत्य को प्रकाश में लाए।

(II) लुंबर नृत्य :- होली के अवसर पर जालौर क्षेत्र में सामूहिक रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है।

(III) डांग नृत्य :- 

  • यह नृत्य राजसमंद जिले के नाथद्वारा क्षैत्र में होली के अवसर पर किया जाता है।
  • इसे स्त्री पुरुष साथ -साथ करते हैं ।
  • इसमें पुरुषों द्वारा भगवान श्री कृष्ण की एवं स्त्रियों द्वारा राधा की नकल की जाती है तथा वैसे ही वस्त्र धारण किए जाते हैं।


IV) बिंदोरी नृत्य :-  यह झालावाड़ क्षेत्र में पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।




(V) नाहर नृत्य :-

  •  यह भीलवाड़ा के मांडल कस्बे में आयोजित किया जाता है ।
  • इस नृत्य में पुरुष अपने शरीर पर रुई लपेटकर शेर का रूप धारण करते हैं।


(VI) अग्नि नृत्य :-

  • बीकानेर के कतरियासर गाँव में जसनाथी सम्प्रदाय द्वारा रात्रि जागरण के समय धड़कते अंगारों के ढेर (घूणा ) पर फतेह -फ़तेह कहते हुए किया जाने वाला नृत्य है।
  • इस नृत्य में केवल पुरुष ही भाग लेते हैं।
  • अग्नि के स्थान को घूणा कहा जाता है।
  • इसमें नगाड़े वाद्य यंत्र की धुन पर अंगारों से मदिरा फोड़ना, हल जोतना, अंगारों को दांतो से पकड़ना आदि करतव किये जाते है।


(VII) भैरव नृत्य :- 

  • यह नृत्य ब्यावर अजमेर में प्रसिद्ध है।
  • यह होली के अवसर पर बादशाह (टोडरमल) की सवारी के आगे बीरबल द्वारा किया जाता है।
  • बादशाह का प्रतीक टोडरमल है।
  • इस नृत्य में बीरबल, ब्यावर के व्यास परिवार का व्यक्ति बनता है।
  • इस नृत्य को मयूर नृत्य, बीरबल नृत्य भी कहते है। 


(VIII) पैंजण नृत्य :- 

  • यह नृत्य बांगड में दीपावली के अवसर पर किया जाता है।
  • यह डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा का प्रसिद्ध है।

➽कन्नडा नृत्य चौहरण बाड़मेर में तथा डांडिया नृत्य बाड़मेर (मारवाड़ क्षैत्र ) में किया जाता है।

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