लोक देवता - तेजाजी , देवनारायण जी, राजस्थान के लोक देवता (rajasthan ke Lok devta) page 6

तेजाजी :-


जन्म ➞ 1073 ईस्वी में माघ शुक्ल चतुर्दशी के दिन खरनाल- नागौर
पिता   ताहड जी जाट (धौल्या गोत्र के)
माता ➞ राजकुंवरी 
भोपे   घोड़ला 
प्रतीक ➞ तलवारदारी असवारोही 
घोड़ी ➞ लीलण / सिणगारी 
पत्नी ➞  पेलम दे (पनेर गांव - अजमेर )


प्रमुख मंदिर  :
  1. खरनाल नागौर - जन्म स्थान
  2. बांसी दुगारी - कर्म स्थली
  3. सेंदरिया अजमेर - यहाँ "बासक" नामक सर्प ने तेजाजी को डसा
  4. सुरसरा अजमेर - मृत्यु स्थल 
  5. परबतसर नागौर - वीर तेजाजी का पशु मेला लगता है 
  6. आंवता अजमेर 

  • भाद्रशुक्ल दशमी  को तेजाजी  दशमी भी कहते हैं। 
  • मेला - श्रावण पूर्णमा से भाद्रपद अमावस्या तक लगता है । 
  • यह राजस्थान का आय की द्रष्टि से सबसे बड़ा मेला है। 
  • तेजाजी ने मेर के मीणाओं से लाछा गूजरी (पत्नी की सहेली ) की गायों को छुड़ाया एवं वहाँ सांप के डसने से वीरगति को प्राप्त हुए। 
  • तेजाजी की मृत्यु का समाचार उनकी घोड़ी नीलण ने पत्नी पेलम दे तक पहुंचाया था। 


देवनारायण जी :-
जन्म  1243 ईस्वी (माघ शुक्ल षष्टी को) गोठा दंडावत आसींद भीलवाड़ा में हुआ ।
पिता  सवाई भोज
माता ➞ साढू  खटाणी
पत्नी  पीपल दे
घोड़ा  लीलाधर

प्रमुख मंदिर  :  

  1. गोठा दंडावत - जन्म स्थान
  2. देंहमाली - ब्यावर अजमेर
  3. जोधपुररिया धाम निवाई टोंक
  4. देवडूंगरी चित्तौड़गढ़
  5. भिनाय अजमेर 

उपनाम  
  1. राज्य क्रांति का जनक
  2. विष्णु का अवतार
  3. आयुर्वेद का ज्ञाता 

  • देवनारायण जी ने भिनाय के शासक दुर्जनशाल को युद्ध करके पराजित किया एवं अपने भाई महेंदू को शासक बनाया इसलिए इन्हें राज्य क्रांति का जनक कहा जाता है। 
  • देवनारायण जी बगड़ावत (गुर्जरों की ) शाखा से थे। 
  • देवनारायण जी की फड़ का वाचन बगड़ावत गुर्जर जाति के भोपे द्वारा जंतर वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है। 
  • देवनारायण जी की फड़ सबसे लंबी, सर्वाधिक चित्रांकन वाली एवं सर्वाधिक प्राचीन फड है। 
  •  2011 में देवनारायण जी पर 5 रूपए का डाक टिकट जारी किया गया था। 
  •  देवनारायण जी के मंदिर में ईंटों की पूजा की जाती है । 
  • लक्ष्मी कुमारी चुंडावत जी बगड़ावत कहानी लिखी । 

Note :- बगड़ावतों की कहानी को राजस्थान की महाभारत कहते हैं ।
 देवनारायण जी पर एक फिल्म बनी जिसमें देवनारायण जी का रोल नाथू सिंह गुर्जर द्वारा किया गया।

देव बाबा :  ये पशु चिकित्सक थे तथा इनको ग्वालों के रक्षक या ग्वालों के देवता भी कहते हैं।
मंदिर  नगला जहाज भरतपुर

मामा देव:➞ इनको बरसात के देवता भी कहते हैं ।
इनके मंदिर नहीं होते बल्कि गांव के बाहर लकड़ी के तोरण की पूजा की जाती है।

वीर बिग्गाजी :➞ 
  • ये गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। 
  • जाखड़ (जाट) समाज के आराध्य देव है । 
  • पिता  महन जी 
  • मंदिर  रीडी गांव बीकानेर

वीर फत्ता जी : 
मंदिर  साथू गांव जालौर
भाद्र शुक्ल नवमी (फत्ता नवमी ) के दिन मेला लगता है ।

झोरण जी :
मंदिर  नागौर
भाद्र शुक्ल पंचमी (ऋषि पंचमी ) के दिन मेला लगता है। 

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