(4) मेहाजी मांगलिया :-
मेला ➞ भाद्र कृष्ण अष्टमी (कृष्ण जन्माष्टमी के दिन)
Note :- इनके भोपे की वंश वृद्धि नहीं होती है।
(5 ) हड़बूजी :-
Note :- हड़बूजी के राव जोधा को मंडोर विजय का आशीर्वाद दिया एवं एक कटार भेंट की
राव जोधा ने मंडोर पर विजय पाते ही बेगटी गांव उपहार के रूप में दे दिया।
{हड़बूजी अपने पिता मेहाजी के वीरगति पाने के बाद भूड़ेल गाँव छोड़कर हरभजन लाल गांव में आ गये यहाँ पर उनकी मुलाकात रामदेव जी तंवर से हुई। रामदेव जी के गुरु बालकनाथ (बालीनाथ ) थे उन्ही से हडबू जी ने दीक्षा ली और और अपने शस्त्र त्याग कर संत का जीवन बिताने लगे।
हडबू जी पंगु गायों के लिए दूर - दूर से गाड़ी में भरकर घास लाते थे यह गाड़ी फलोदी के बेगटी गाँव में पड़ी है जहाँ उसकी पूजा की जाती है।
जोधपुर के राजा अजीत सिंह के काल में मंडोर नामक स्थान पर एक उद्यान में दस - दस फुट ऊँची पंच पीरों (पाँचो लोक देवता ) की मूर्तियां लगाई गई। }
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मेला ➞ भाद्र कृष्ण अष्टमी (कृष्ण जन्माष्टमी के दिन)
Note :- इनके भोपे की वंश वृद्धि नहीं होती है।
- मेहाजी सांखला (पंवार क्षत्रिय) परिवार में जन्मे तथा ननिहाल में पालन पोषण हुआ।
- मेहाजी दूरदर्शी थे वे भरी आपदा को पहले से ही भाँप लेते थे एवं शकुन शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे।
- मेहाजी जैसलमेर के राव राणंगदेव भाटी से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
(5 ) हड़बूजी :-
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- मंदिर का निर्माण 1721 ई. में अजीत सिंह के समय में हुआ।
- हड़बूजी रामदेव जी के मौसेरे भाई थे।
- हड़बूजी (हरभू जी ) रामदेव जी के समकालीन लोक देवता है।
Note :- हड़बूजी के राव जोधा को मंडोर विजय का आशीर्वाद दिया एवं एक कटार भेंट की
राव जोधा ने मंडोर पर विजय पाते ही बेगटी गांव उपहार के रूप में दे दिया।
- मंदिर में हड़बूजी की गाड़ी की पूजा की जाती है
- हड़बूजी को सर्वशास्त्र का ज्ञाता माना जाता है.
{हड़बूजी अपने पिता मेहाजी के वीरगति पाने के बाद भूड़ेल गाँव छोड़कर हरभजन लाल गांव में आ गये यहाँ पर उनकी मुलाकात रामदेव जी तंवर से हुई। रामदेव जी के गुरु बालकनाथ (बालीनाथ ) थे उन्ही से हडबू जी ने दीक्षा ली और और अपने शस्त्र त्याग कर संत का जीवन बिताने लगे।
हडबू जी पंगु गायों के लिए दूर - दूर से गाड़ी में भरकर घास लाते थे यह गाड़ी फलोदी के बेगटी गाँव में पड़ी है जहाँ उसकी पूजा की जाती है।
जोधपुर के राजा अजीत सिंह के काल में मंडोर नामक स्थान पर एक उद्यान में दस - दस फुट ऊँची पंच पीरों (पाँचो लोक देवता ) की मूर्तियां लगाई गई। }
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good information
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