(IV) कालबेलिया नृत्य :-
यह राजस्थान का एकमात्र नृत्य है जिसे 2010 में विश्व सांस्कृतिक धरोहर सूची हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया गया।
- वर्ष 2013 में कालबेलिया नृत्य सिखाने के लिए पाती गांव आमेर में स्कूल खोला गया।
कालबेलिया नृत्य के प्रकार :- (ट्रिक- बाईपास )
(A) बागड़िया नृत्य
(B) इंडोणी नृत्य
(C) पणिहारी नृत्य
(D) शंकरिया नृत्य
(B) इंडोणी नृत्य
(C) पणिहारी नृत्य
(D) शंकरिया नृत्य
(A) बागड़िया नृत्य :-
(B) इंडोणी नृत्य :-
- यह घर - घर जाकर भीख मांगते समय किया जाने वाला नृत्य है।
- यह केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है।
- इस नृत्य में मुख्य वाद्य यंत्र ' चंग 'होता है।
- गुलाबो बाई कालबेलिया नृत्य की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार है।
(B) इंडोणी नृत्य :-
- इस नृत्य को स्त्री-पुरुष दोनों मिलकर करते हैं।
- यह नृत्य गोलाकार पथ पर पुंगी, खंजरी वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है।
- इंडोणी घड़े व सिर के बीच रखी जाने वाली एक गोलाकार वस्तु होती है ।
- इंडोणी नृत्य में औरतों की पोशाकें बड़ी कलात्मक होती हैं तथा इनके बदन पर मणियों की सजावट होती है।
(C) पणिहारी नृत्य :-
- यह नृत्य पणिहारी गीत पर आधारित एक युगल ( महिला-पुरुष द्वारा ) नृत्य है।
- इस नृत्य का प्रमुख वाद्य यंत्र ढोलक, बांसुरी है।
- इसमें पणिहारिन स्त्रियां अपने सिर पर 5 से 7 मटके रखकर नृत्य करती हैं।
(D) शंकरिया नृत्य :-
- यह नृत्य प्रेम कथा/ कहानी पर आधारित स्त्री-पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
- इस नृत्य में अंग संचालन बहुत सुंदर होता है।
- इस नृत्य की प्रमुख नृत्यांगना कंचन, सपेरा, गुलाबो, कमली एवं राजकी है।
- गुलाबो, सपेरा (अजमेर की ) को 2016 में पदम श्री से सम्मानित किया गया।
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