पाबूजी , राजस्थान के लोक देवता pabuji. (rajasthan ke Lok devta) page 3

(2) पाबूजी :- 


ट्रिक - पीके धाक फूके
पी - पाबूजी
के - कोलमंड के निवासी 
धा - धाँधल जी राठौड़  उनके पिता जी 
- कमला दे उनकी माता जी 
फू - फूलम दे/सुप्यार दे (पत्नी)
केकेसर कालमी (घोड़ी )


  • पाबूजी का जन्म - 1238 ई. को कोलमंड गांव ,फलौदी-तहसील (जोधपुर) में हुआ। 
  • फूलन दे उर्फ़ सुप्यार दे (पाबूजी की पत्नी) अमरकोट पाकिस्तान के राजा सूरजमल सोढा की पुत्री थी। 


 पाबूजी का मेला :- चैत्र अमावस्या में लगता है

 पाबूजी के उपनाम :- 

  1. लक्ष्मण का अवतार,
  2. प्लेग रक्षक का देवता, 
  3. ऊंटों का देवता, 
  4. गौ रक्षक।

  • पाबूजी के द्वारा पाली नृत्य किया जाता है ।
  • पाबूजी ने 1276 ईस्वी में अपने बहनोई जींद राव खींची (जायल -नागौर के राजा ) से देवल चारणी की गायों को छुड़ाने के लिए देचू गांव शेरगढ़ जोधपुर में युद्ध किया एवं वीरगति को प्राप्त हुए ।
  • बूढ़ों जी के पुत्र झरडा जी थे जो पाबूजी के भतीजे थे।


राजस्थान में झरडा जी या रूपननाथ के दो प्रसिद्ध मंदिर हैं -

  1. कोलुमंड - जोधपुर  
  2. सिम मूंदड़ा -बीकानेर 


note:-झरडा जी/ रूपननाथ को हिमाचल प्रदेश में बालक नाथ के नाम से जाना जाता है

  • पाबूजी की मृत्यु के बाद पत्नी फूलम दे/सुप्यार दे  सती हो गई।
  • मारवाड़ क्षेत्र में सर्वप्रथम ऊंटों लाने का श्रेय पाबू जी को है।
  • ऊंट पालक जाति राईका/रेवारी पाबूजी अपना आराध्यदेव मानती  हैं ।
  • राईका/रेबारी जाति सर्वाधिक जालौर जिले में निवास करती है।
  • पाबूजी के जीवन से संबंधित "पाबू प्रकाश" नामक ग्रंथ की रचना आशिया मोड जी द्वारा की गई।
  • पाबूजी के प्रमुख सहयोगी (रक्षक) चांदा, डेमा, हरमल है।


राजस्थान की सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ पाबूजी की है जिसका वाचन भील जाति के टोफ़ों द्वारा रावण हत्या वाद्ययंत्र के साथ किया जाता है

फड़:- फड़ एक 30 फुट लंबा एवं 5 फुट चौड़ा कपड़ा होता है जिस पर लोक देवी देवता के जीवन से संबंधित चित्र बनाए जाते हैं। 
  • इस कला में शाहपुरा भीलवाड़ा का जोशी परिवार सिद्धहस्त (निपुण) है ।
  • फड चित्रण के लिए शाहपुरा भीलवाड़ा के जोशी परिवार को 2006 में पदम श्री पुरस्कार दिया गया।
  • प्रथम महिला फड़चितेरी "पार्वती जोशी" है।

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