मारवाड़ क्षैत्र के 5 लोक देवता (पंचपीर ) :-
नोट :- तेजाजी व देवनारायण जी पंचपीरों में शामिल नहीं है।
(1) गोगाजी :-
भाद्र कृष्ण नवमी के दिन जन्म हुआ और इसी दिन गोगाजी का मेला लगता है।
ट्रिक :- गोपा रामे हूँ
- गोगाजी
- पाबूजी
- रामदेव जी
- मेहाजी
- हडबूजी
(1) गोगाजी :-
- जन्म - 1003 ई.
- जन्म स्थान - ददरैवा (चूरू)
- पिता - जेवर जी चौहान
- माता - बाछल
- गुरु -गोरखनाथ
- पत्नी - केलम दे
- घोड़ी - नीली घोड़ी (गोगो बप्पा )
- उपनाम - सांपों का देवता / जो मुक्ति दाता
ट्रिक - गोचु जेबा केन
गो - गोगाजी
चु - चूरू के निवासी
जे - जेवर जी चौहान उनके पिता जी
बा - बाछल उनकी माता जी
के - केलम दे
न - नीली घोड़ी
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प्रमुख मंदिर -
१. शीर्ष मेडी / शीश मेडी :- ददरैवा (चूरू) में स्थित है ,मेला -भाद्र कृष्ण नवमी के दिन लगता है।
२. थूर मेडी :- नोहर (हनुमानगढ़ )में स्थित है। निर्माण - फिरोज शाह तुगलक ने करवाया।इसका पुनर्निमाण
महाराजा गंगा सिंह ने करवाया।
महाराजा गंगा सिंह ने करवाया।
३. लघु मेडी :- ओल्डी सांचोर (जालोर) में स्थित है।
- ददरैवा से दस किलोमीटर दुरी पर "गोगा मेडी" नाम का स्थान है जहाँ पर गोगाजी की समाधी बनी हुई है वहाँ पर गोगाजी का "पशु मेला" लगता है जो श्रावण पूर्णमा से भाद्रपद पूर्णमा तक चलता है। यह राजस्थान का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला मेला है।
- गोगाजी का अर्जन एवं सर्जन (गोगाजी के भाई ) के मध्य विवाद हो गया था तब अर्जन एवं सर्जन ने मुस्लिम शासकों को आमंत्रित किया और मुस्लिम शासकों ने गोगाजी की गायों को घेर लिया तब गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
- मुस्लिम शासकों से सर्वाधिक बार (11 बार ) युद्ध करने वाले लोक देवता "गोगाजी "है।
- इस युद्ध मे गोगाजी की वीरता से प्रभाविता होकर मेहमूद गजनवी ने जहांपीर साक्षात् देवता )की उपदेशी दी।
- मुस्लिम शासकों का गोगाजी के साथ हुए युद्ध का उल्लेख कवि मेहाजी द्वारा रचित "गोगाजी का रसावला"में मिलता है।
- गोगाजी के मुस्लिम जाति के भक्तों को चायल कहते है।
- गोगाजी के थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते है।
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